Monday, September 6, 2010

निराश न करो अपने अरमानो को,

निराश न करो अपने अरमानो को,
कस लो जीवन की कमानों को,
भुला दो दुनिया के तानो को,
तैयार कर तरकस के तीरों को,

क़र्ज़ है तुझ पर माँ बाप के प्यार का,
बहन के राखी का,
भाई की जिम्मेदारी का,
दोस्तों के साथ का,

निश्चिंत हो जा विजय तुम्हारी होगी.
चढ़ता जायेगा तू सफलता की सोपानो पर

पर भूल न जाना राह की परेशानियों  को,
अँधेरे के उस डर को,
किसी के प्यार के उस क़र्ज़ को,
उजाले के उस संग को,
क्योकि जीवन का सच है
जीत के बाद हार है.

प्रवीण त्रिपाठी

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