Sunday, September 5, 2010

आज फिर याद आयी

आज फिर उन  दिनों की  याद आयी
भूले बिसरे उन  पलो  की याद आयी
फिर उन सावन के महीनो की खुशबू याद आयी
उसके आने के बाद की वो ख़ुशी  याद आयी

मिटटी की वो शोधी खुशबू याद आयी
उसकी वो मुस्कराहट आज फिर याद आयी
बंद आँखों से उसकी मौजूदगी फिर याद आयी
आज फिर याद आयी


वो मेरी शरारतो  पर नाराज होना
मुझे परेशान देख परेशान होना
खुश देखकर खुश होना
आज फिर  याद आयी

No comments:

Post a Comment